Cheque Bounce Case : वर्तमान समय में बैंक चेक का इस्तेमाल बहुत होता है ! ज्यादातर बड़े-बड़े बिजनेस में बैंक चेक का उपयोग किया जाता है ! जब किसी व्यक्ति के द्वारा चेक दिया जाता है , और उसके खाते में पर्याप्त राशि नहीं हो ! ऐसी सिथति में उसका चेक बाउंस हो जाता है ! यह स्थिति न सिर्फ शर्मनाक है बल्कि उसे व्यक्ति को काफी कानूनी परेशानियां का सामना करना पड़ सकता है ! चेक बाउंस होने के मुख्यतः कई कारण होते हैं , लेकिन सबसे ज्यादा पर्याप्त राशि न होना , चेक पर गलत हस्ताक्षर , चेक पर दी गई समय सीमा का समाप्त हो जाना या चेक पर किसी तरह की ओवरराइटिंग का होना इन सभी कारणों से चेक बाउंस हो जाते हैं !
जाने क्यों होता है Cheque Bounce
चेक बाउंस होने का सबसे आम कारण खाता धारकों के खाते में चेक राशि से कम पैसे होना ! साथ ही दिए गए चेक पर बैंक रिकॉर्ड से मेल खाते हुए हस्ताक्षर न होना भी चेक बाउंस का एक बड़ा कारण बनता है ! चेक बाउंस होने के मुख्यतः कई कारण होते हैं , लेकिन सबसे ज्यादा पर्याप्त राशि न होना , चेक पर गलत हस्ताक्षर , चेक पर दी गई समय सीमा का समाप्त हो जाना !
चेक पर किसी तरह की ओवरराइटिंग का होना इन सभी कारणों से चेक बाउंस हो जाते हैं ! चेक बाउंस होने पर बैंक एक चेक रिटर्न मेमो जारी करता है ! जिसमें बाउंस का कारण और चेक फ्री इशू या नोटिस की शुरुआत का मार्गदर्शन करता है ! Cheque Bounce Case
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Cheque Bounce Case होने पर आए नए कानून
चेक बाउंस नोटिस मिलने के 30 दिनों के भीतर प्राप्तकर्ता को डिमांड नोटिस भेजने बेहतर आवश्यक होता है अगर नोटिस मिलने के बाद चेक देने वाला व्यक्ति नोटिस मिलने के बाद चेक देने वाले के पास 15 दिन का समय होता है ! अपनी राशि चुकाने के लिए अगर वह 15 दिनों के भीतर इस भुगतान को नहीं करता तो उसे पर धारा 138 के तहत अभियोग दर्ज कर सकते हैं ! इतना ही नहीं दोषी से धोने पर उसे व्यक्ति को 2 साल की सजा और जुर्माना जो 2 गुना चेक राशि से चक्र राशि से दो गुना देना पड़ता है ! cheque bounce case
Cheque Bounce Case पर सुप्रीम कोर्ट का आया नया फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि चेक बाउंस होने की स्थिति काफी गंभीर है ,लेकिन आरोपी को तत्काल जेल नहीं भेजा जा सकता ! जब तक की कोर्ट की पूरी कार्रवाई न हो जाए जैसे ही चेक बाउंस होता है ! उसे व्यक्ति के खिलाफ कोर्ट में शिकायत दर्ज की जा सकती है ! कानूनी प्रक्रिया के बाद ही कोर्ट के द्वारा अंतिम फैसला लिया जाएगा तब जेल की सजा हो सकती है और इस दौरान आरोपी को जमानत भी मिल सकती है !