वाराणसी के ऐतिहासिक और भीड़-भाड़ वाले दालमंडी इलाके में बहुप्रतीक्षित सड़क चौड़ीकरण अभियान आखिरकार शुरू हो गया है। बाबा विश्वनाथ धाम तक तीर्थयात्रियों की सुगम पहुँच सुनिश्चित करने के उद्देश्य से, इस परियोजना के तहत लगभग 650 मीटर x 10 मीटर चौड़ी सड़क का निर्माण किया जाएगा। यह इलाका पूर्वांचल का सबसे बड़ा मुस्लिम बाज़ार माना जाता है, जहाँ बड़ी संख्या में दुकानें और धार्मिक संरचनाएँ अब इस विकास कार्य के दायरे में आ गई हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश और राज्य मंत्रिमंडल की मंज़ूरी के बाद लगभग 200 करोड़ रुपये की लागत से यह योजना शुरू की गई है। स्थानीय प्रशासन ने इसे क्रियान्वित करने के लिए सीआरपीएफ, रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) और स्थानीय पुलिस बल तैनात किया है। किसी भी संभावित विरोध को देखते हुए, शुक्रवार की नमाज़ से पहले पूरे इलाके में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया था और पुलिस बल ने फ्लैग मार्च भी निकाला था।
परियोजना के पहले चरण में 189 दुकानों और छह पुरानी मस्जिदों को ध्वस्त करने का काम शुरू किया गया है। हालाँकि इससे व्यापारियों में रोष है, लेकिन प्रशासन का कहना है कि सभी प्रभावितों को उचित मुआवज़ा देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
दालमंडी की संकरी गलियों को चौड़ा करने का मुख्य उद्देश्य काशी विश्वनाथ मंदिर तक श्रद्धालुओं की आवाजाही को सुगम बनाना है। लेकिन इस विकास कार्य से जुड़े सामाजिक और धार्मिक पहलुओं को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। एक ओर, यह परियोजना वाराणसी में यातायात और भीड़भाड़ की पुरानी समस्याओं का समाधान लाएगी, वहीं दूसरी ओर, इसका असर क्षेत्र के पारंपरिक बाज़ार और सांस्कृतिक विरासत पर भी पड़ सकता है।
बारिश के कारण काम की गति धीमी होने की संभावना है, लेकिन मुख्यमंत्री से विशेष निर्देश मिलने के बाद प्रशासन ने काम में तेज़ी लाने की तैयारी कर ली है। अधिकारियों का कहना है कि यह सड़क सिर्फ़ एक रास्ता नहीं, बल्कि वाराणसी के कायाकल्प की दिशा में एक बड़ा कदम है।
फ़िलहाल, स्थानीय समुदाय इस परियोजना पर मिली-जुली प्रतिक्रिया दे रहा है। कुछ लोग इसे विकास का प्रतीक मान रहे हैं, तो कई व्यापारी और निवासी अपनी आजीविका और सांस्कृतिक विरासत खोने को लेकर चिंतित हैं। आने वाले दिन तय करेंगे कि प्रशासन इस संतुलन को कैसे बनाए रख पाता है। विकास और विरासत का संघर्ष अब सड़कों पर आ गया है।