देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद अब नए उपराष्ट्रपति के नाम को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं। एनडीए के पास बहुमत होने के चलते यह लगभग तय माना जा रहा है कि अगला उपराष्ट्रपति भाजपा हाईकमान की पसंद का ही होगा। इस पद के लिए कई नाम सामने आए हैं, जिनमें सबसे प्रमुख नाम है थावरचंद गहलोत, जो वर्तमान में कर्नाटक के राज्यपाल हैं.
RSS से है गहरा नाता
77 वर्षीय थावरचंद गहलोत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता हैं, जिन्होंने मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्य किया है। उनका राजनीतिक सफर जनता पार्टी से शुरू हुआ था, और 1980 में वे भाजपा से जुड़ गए। उसी वर्ष उन्होंने आलोट विधानसभा सीट से पहली बार विधायक बनकर राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई।
1990 में उन्हें मध्य प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री बनाया गया, और 1996 में वे शाजापुर सीट से लोकसभा सांसद चुने गए। इसके बाद 2012 और 2018 में वे राज्यसभा के सदस्य बने तथा 2019 में राज्यसभा में भाजपा संसदीय दल के नेता बनाए गए। 2021 में उन्हें कर्नाटक का राज्यपाल नियुक्त किया गया।
संसदीय प्रक्रिया और विधायी कार्यों का उन्हें गहरा अनुभव है। साथ ही, वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सक्रिय कार्यकर्ता रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके अच्छे संबंध हैं, जो उनकी उपराष्ट्रपति पद की संभावित दावेदारी को और अधिक मज़बूती प्रदान करते हैं।
जातीय समीकरण में भी फिट
गहलोत अनुसूचित जनजाति से आते हैं, जो भाजपा के दलित और पिछड़ा वर्ग को साधने की रणनीति में अहम भूमिका निभा सकते हैं। विपक्ष अक्सर भाजपा पर इन वर्गों के शोषण का आरोप लगाता है, ऐसे में गहलोत का नाम भाजपा के लिए राजनीतिक संदेश देने का अवसर बन सकता है।