संसद के मानसून सत्र के पहले दिन देश को उस समय बड़ा राजनीतिक झटका लगा जब पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा सौंप दिया, जिसे मंगलवार को स्वीकार कर लिया गया। धनखड़ का कार्यकाल 11 अगस्त, 2027 तक निर्धारित था, लेकिन उनके इस अप्रत्याशित कदम ने विपक्ष में कई अटकलों को जन्म दे दिया है।
धनखड़ ने संविधान के अनुच्छेद 67 (ए) के तहत इस्तीफा दिया। खबरों के अनुसार, उन्होंने उपराष्ट्रपति पद पर दो साल से अधिक समय तक सेवा की है, जिससे उन्हें पेंशन और अन्य लाभ मिलते रहेंगे।
पूर्व उपराष्ट्रपति धनकड़ को मिलेगी ये सुविधाएं
2018 के बजट के अनुसार, उपराष्ट्रपति का वार्षिक वेतन 48 लाख रुपये है, जिसके आधार पर उन्हें 2 लाख रुपये से अधिक की मासिक पेंशन मिल सकती है। इसके अलावा, उन्हें टाइप VIII सरकारी बंगला, मुफ्त हवाई और रेल यात्रा, निजी डॉक्टर, दो निजी सहायक और पत्नी के लिए एक निजी सचिव जैसी सुविधाएं भी मिलेंगी। सरकार उनके बंगले के बिजली और पानी के बिल का भी भुगतान करेगी।
इस बीच, भारत निर्वाचन आयोग ने नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की तैयारियाँ शुरू कर दी हैं। आयोग ने बताया कि संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित और मनोनीत सदस्यों वाले निर्वाचक मंडल, रिटर्निंग और सहायक रिटर्निंग अधिकारियों का चयन और पिछले चुनावों से संबंधित सामग्री तैयार की जा रही है। संविधान के अनुसार, नए उपराष्ट्रपति का चुनाव 60 दिनों के भीतर अनिवार्य है, यानी यह प्रक्रिया 19 सितंबर 2025 तक पूरी करनी होगी।
धनखड़ के इस्तीफे को लेकर विपक्ष ने भी सक्रियता दिखाई है। कुछ रिपोर्टों में दावा किया गया है कि उनके इस्तीफे के पीछे राजनीतिक कारण हो सकते हैं, जिसमें राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव का स्वीकृत होना एक अहम बिंदु बताया जा रहा है।