जगदीप धनखड़ का इस्तीफा बना मोदी सरकार की मुसीबत, अब कौन बनेगा अगला उपराष्ट्रपति?

उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई हैं। चुनाव आयोग ने रिटर्निंग ऑफिसर की घोषणा कर दी है। इस पद को लेकर भाजपा नीत एनडीए गठबंधन में भी चर्चा शुरू हो गई है। खबरें हैं कि जगदीप धनखड़ ने सरकार के दबाव में इस्तीफा दिया है। हालांकि, इस्तीफा देकर भी उन्होंने भाजपा के लिए दो चुनौतियां छोड़ दी हैं।

पहली चुनौती यह है कि इस बार भाजपा को उम्मीदवार के चयन में सावधानी बरतनी होगी। भाजपा किसी ऐसे व्यक्ति का चयन करना चाहेगी जिसकी विचारधारा पार्टी से पूरी तरह मेल खाती हो। दूसरी चुनौती यह है कि विपक्ष भी इस चुनाव में अपना उम्मीदवार उतार सकता है। दोनों सदनों को मिलाकर इस चुनाव में 782 सांसदों का निर्वाचक मंडल होगा। इसमें एनडीए के 425 सांसद हैं।

जगदीप धनखड़ ने 1991 में जनता दल के सांसद के रूप में अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था। बाद में वे कांग्रेस में शामिल हुए और फिर भाजपा में शामिल हो गए। जगदीप धनखड़ सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील थे। ऐसे में भाजपा की नजर उन पर पड़ी और उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया। राज्यपाल रहते हुए ममता बनर्जी सरकार से उनकी हमेशा तनातनी रही। 2022 में जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद के लिए एनडीए का उम्मीदवार बनाया गया।

जगदीप धनखड़ कई मुद्दों पर मुखर रहे। साथ ही, पारंपरिक तरीके से काम करने के बजाय, वे सवाल उठाते रहे। कई बार उन्होंने सुप्रीम कोर्ट पर भी टिप्पणी की। साथ ही, उन्होंने जस्टिस यशवंत वर्मा को लेकर भी सार्वजनिक मंचों पर अपनी राय रखी थी। जब उन्होंने विपक्ष द्वारा लाए गए प्रस्ताव पर राज्यसभा में जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव स्वीकार किया, तो सरकार को भी यह पसंद नहीं आया। कुछ घंटों बाद ही जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

एनडीए नेताओं का कहना है कि इस बार उम्मीदवार चुनने में सावधानी बरती जाएगी। यह भी कहा जा रहा है कि हरिवंश नारायण सिंह ने राज्यसभा के उपसभापति रहते हुए सरकार का विश्वास भी जीता है। साथ ही, उन्हें नीतीश कुमार और पीएम मोदी का करीबी माना जाता है। ऐसे में, वे एनडीए की पसंद हो सकते हैं। राज्यसभा का अनुभव भी उपराष्ट्रपति के तौर पर उनके काम आ सकता है।

भाजपा के एक नेता ने बताया कि पार्टी के भीतर अभी इस विषय पर चर्चा शुरू नहीं हुई है। हालाँकि, लोग कयास लगा रहे हैं। कहा जा सकता है कि भविष्य में किसी भी फैसले से पहले इस उथल-पुथल को ध्यान में रखा जाएगा। उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार पर फैसला बिहार, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल के चुनावों को ध्यान में रखकर भी लिया जा सकता है।

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