सावन माह की शिवरात्रि पर 46 वर्षों बाद संभल जिले के खग्गू सराय क्षेत्र में स्थित कार्तिकेय महादेव मंदिर में पूजा-अर्चना और जलाभिषेक का आयोजन किया गया। यह मंदिर 1978 से बंद था, जिसे प्रशासन ने दिसंबर 2024 में पुनः खोला। इस ऐतिहासिक अवसर पर एसडीएम विकास चंद्र सहित सैकड़ों श्रद्धालुओं ने पहुँचकर विधिवत पूजा-अर्चना की।
ऐतिहासिक धरोहर की वापसी
मंदिर की पुनर्स्थापना को लेकर स्थानीय प्रशासन ने इसे संभल की खोई हुई पहचान लौटाने का एक प्रयास बताया। एसडीएम विकास चंद्र ने स्वयं जलाभिषेक कर पूजा-अर्चना की और कहा, “यह केवल एक धार्मिक आयोजन ही नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक पुनरुत्थान का प्रतीक है।”
सुरक्षा के कड़े इंतजाम
कार्तिकेय महादेव मंदिर की संवेदनशीलता को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। चूँकि यह मंदिर मुस्लिम बहुल इलाके में स्थित है, इसलिए सुरक्षा को लेकर विशेष सतर्कता बरती गई। मंदिर परिसर और आसपास के इलाकों में रैपिड रिएक्शन फोर्स (आरआरएफ), पीएसी और महिला पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था।
श्रद्धालुओं और आयोजन पर नज़र रखने के लिए सीसीटीवी कैमरों के साथ-साथ ड्रोन का भी इस्तेमाल किया गया। मंदिर परिसर को बांस-बल्लियों से बैरिकेडिंग करके सुरक्षित किया गया था ताकि कोई अनावश्यक गतिविधि न हो सके। साथ ही, पास के जामा मस्जिद क्षेत्र में अतिरिक्त पुलिस बल भी तैनात किया गया था ताकि कोई विवाद या भ्रम की स्थिति न बने।
श्रद्धालुओं में उत्साह
सुबह से ही कांवड़ियों और स्थानीय श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिर में उमड़ पड़ी। हरिद्वार से जल लेकर आए श्रद्धालुओं ने भगवान शिव की पिंडी पर जल चढ़ाया। भजन-कीर्तन और जयकारों से मंदिर परिसर का माहौल भक्तिमय हो गया।
मंदिर का इतिहास
माना जाता है कि कार्तिकेय महादेव मंदिर की ऐतिहासिकता मराठा काल में निर्मित हुई थी। मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव का शिवलिंग और हनुमान जी की एक भव्य मूर्ति स्थापित है, जो इसके धार्मिक महत्व को दर्शाती है।
हालाँकि, 1978 के दंगों के बाद मंदिर को बंद कर दिया गया और यह लंबे समय तक उपेक्षित रहा। वर्ष 2024 में जब बिजली चेकिंग के दौरान मंदिर का दरवाजा पुनः खुला तो प्रशासन ने तत्परता दिखाते हुए उसे मुक्त कराकर धार्मिक गतिविधियों को पुनः शुरू करने की अनुमति दी, जिससे श्रद्धालुओं में आस्था की ज्योति पुनः प्रज्वलित हो गई।