देशभर में बकरीद का पर्व इस साल 7 जून (शनिवार) को मनाया जाएगा। इसे ईद-उल-अजहा के नाम से भी जाना जाता है, जो इस्लाम धर्म के सबसे पवित्र त्योहारों में से एक है। यह त्योहार कुर्बानी की भावना और अल्लाह के प्रति अधीनता और भक्ति का प्रतीक है। इस दिन की ऐतिहासिक और धार्मिक मान्यता के अनुसार, पैगंबर हजरत इब्राहिम को अपने सपने में अल्लाह का आदेश मिला था कि वे अपनी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी दें। इस आदेश के पालन में उन्होंने अपने बेटे हजरत इस्माइल की कुर्बानी का निर्णय लिया। जब उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर कुर्बानी दी और पट्टी हटाई, तो देखा कि अल्लाह ने बेटे की जगह एक दुंबा (मेंढा) कुर्बान कर दिया था। तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि ईद-उल-अजहा के दिन मुसलमान जानवर की कुर्बानी करते हैं।
मौलाना अरशद मदनी की सलाह
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने बकरीद से पहले देश के मुसलमानों को एक खास संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि इस्लाम में कुर्बानी का कोई विकल्प नहीं है, यह एक धार्मिक फर्ज है जो हर सक्षम मुसलमान पर वाजिब है। मौलाना मदनी ने मुसलमानों से वर्तमान संवेदनशील माहौल को ध्यान में रखते हुए एहतियात बरतने की अपील की। उन्होंने कहा, “सोशल मीडिया या अन्य माध्यमों पर कुर्बानी के जानवरों की तस्वीरें या वीडियो साझा करने से बचें, ताकि किसी तरह की भावनात्मक या सामाजिक असहिष्णुता न फैले।”
सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन करने की सलाह
मौलाना मदनी ने विशेष रूप से जोर देकर कहा कि कुर्बानी करते समय सरकारी नियमों और गाइडलाइन्स का पूरी तरह से पालन किया जाए। उन्होंने प्रतिबंधित जानवरों की कुर्बानी से परहेज करने और वैकल्पिक रूप से काले जानवरों की कुर्बानी को प्राथमिकता देने की सलाह दी। उन्होंने कहा, “अगर किसी स्थान पर कुछ लोग काले जानवर की कुर्बानी से भी रोकते हैं, तो स्थानीय प्रशासन को विश्वास में लेकर ही कुर्बानी की जाए। यदि ऐसा करना संभव न हो तो निकटवर्ती क्षेत्र में जाकर यह धार्मिक फर्ज अदा करें।”
साफ-सफाई का ध्यान रखें
मौलाना मदनी ने बकरीद के दिन साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि कुर्बानी के बाद जानवरों के अवशेष (फुजलात) को सड़कों या नालियों में फेंकने की बजाय उचित ढंग से दफनाया जाए, जिससे किसी को परेशानी न हो और स्वास्थ्य व पर्यावरण पर बुरा असर न पड़े।
उकसावे से बचें और शांति बनाए रखें
मौलाना मदनी ने मुसलमानों से सांप्रदायिक शांति बनाए रखने की अपील करते हुए कहा, “अगर कोई शरारती तत्व उकसावे की कोशिश करे, तो थाने में शिकायत दर्ज कराएं, लेकिन हर हाल में संयम और शांति का परिचय दें।” उन्होंने कहा कि हालात जैसे भी हों, हमें निराश नहीं होना चाहिए, बल्कि अल्लाह पर भरोसा रखते हुए प्रेम, भाईचारे और सब्र के साथ उनका सामना करना चाहिए।