संसद का मानसून सत्र जारी है, और इसी बीच राजधानी दिल्ली में सियासी हलचल अचानक तेज हो गई है। रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कुछ ही घंटों के भीतर गृह मंत्री अमित शाह ने अलग-अलग समय पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। इन मुलाकातों को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है।
क्या है इन मुलाकातों के पीछे की वजह?
प्रधानमंत्री और गृह मंत्री जैसे शीर्ष नेताओं का एक ही दिन, कुछ घंटों के अंतराल में अलग-अलग राष्ट्रपति से मिलना सामान्य घटनाक्रम नहीं माना जा रहा है। न तो राष्ट्रपति भवन और न ही प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से अभी तक इन मुलाकातों की आधिकारिक वजह सामने आई है। इससे अटकलों को और बल मिल गया है कि सरकार कोई बड़ा फैसला लेने की तैयारी में है।
उपराष्ट्रपति चुनाव से है कोई कनेक्शन?
गौरतलब है कि हाल ही में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मानसून सत्र की शुरुआत के दिन इस्तीफा दे दिया था। चुनाव आयोग ने 1 अगस्त को नए उपराष्ट्रपति पद के चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी है। मतदान 9 सितंबर को होगा और 7 अगस्त को अधिसूचना जारी की जाएगी।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पीएम मोदी और अमित शाह ने राष्ट्रपति से इसी मुद्दे पर चर्चा की होगी, खासकर उपराष्ट्रपति चुनाव और नए नाम को लेकर।
क्या फिर से 5 अगस्त बन सकता है ऐतिहासिक?
एक और पहलू जो इन मुलाकातों को खास बना रहा है, वह है 5 अगस्त की तारीख। इस दिन मोदी सरकार ने 2019 में अनुच्छेद 370 हटाकर जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किया था। वहीं, 2020 में राम मंदिर के निर्माण की आधारशिला भी इसी तारीख को रखी गई थी।
अब चर्चा है कि 5 अगस्त 2025 को भी सरकार कोई बड़ा संवैधानिक या राजनीतिक फैसला ले सकती है। सोशल मीडिया पर कयास लगाए जा रहे हैं कि इन मुलाकातों का संबंध किसी नए कानून, नियुक्ति या नीति की घोषणा से हो सकता है।
क्या लाया जा सकता है यूनिफॉर्म सिविल कोड?
संसद के मौजूदा सत्र में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को लेकर भी चर्चाएं तेज हैं। उत्तराखंड में इसे पहले ही लागू किया जा चुका है और असम व गुजरात की बीजेपी सरकारें इसे राज्य स्तर पर लागू करने की घोषणा कर चुकी हैं।
यूसीसी बीजेपी के कोर एजेंडे में शामिल रहा है, जिसमें राम मंदिर और अनुच्छेद 370 पहले ही पूरे हो चुके हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि अब सरकार इस बचे हुए वादे को पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ा सकती है।
अब तक क्यों नहीं आया कोई आधिकारिक बयान?
इन हाई-प्रोफाइल बैठकों पर अभी तक न तो राष्ट्रपति भवन और न ही केंद्र सरकार की ओर से कोई बयान आया है। ऐसे में अटकलें और भी तेज हो गई हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार कुछ बड़ा करने की तैयारी में है — चाहे वह महत्वपूर्ण नियुक्ति हो, संविधान संशोधन, या फिर कोई बड़ा विधेयक।
अंतरराष्ट्रीय दबाव भी हो सकता है वजह
ये मुलाकातें ऐसे समय हो रही हैं जब हाल ही में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25% टैरिफ लगाने और रूस से रक्षा सौदों व तेल खरीद को लेकर प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी है। यह भू-राजनीतिक मुद्दा भी बंद कमरे की बातचीत का हिस्सा हो सकता है।