अमेरिका का कर्ज 37 ट्रिलियन डॉलर के पार, ट्रंप के दावों पर उठे सवाल

अमेरिका का कर्ज 37 ट्रिलियन डॉलर के पार, ट्रंप के दावों पर उठे सवाल: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भले ही अर्थव्यवस्था को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रहे हों, लेकिन देश का बढ़ता कर्ज उनकी नीतियों पर सवाल खड़े कर रहा है। अमेरिका का राष्ट्रीय कर्ज पहली बार आधिकारिक रूप से 37 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को पार कर गया है, जो देश के लिए एक गंभीर आर्थिक चेतावनी है।

कर्ज में बेतहाशा बढ़ोतरी

4 जुलाई को लागू हुए वन बिग ब्यूटीफुल बिल एक्ट के बाद से अमेरिका का कर्ज 780 अरब डॉलर बढ़ चुका है। इसका मतलब है कि प्रतिदिन कर्ज में 22 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हो रही है। महामारी के बाद से अब तक अमेरिका का कुल कर्ज 14 ट्रिलियन डॉलर बढ़ चुका है।

स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि सरकार को रोजाना 3 अरब डॉलर सिर्फ ब्याज चुकाने में खर्च करने पड़ रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जल्द सुधार नहीं हुआ, तो विकास के अन्य कार्यों के लिए सरकार के पास धन की भारी कमी हो सकती है।

बॉन्ड बिक्री से राहत की कोशिश

पिछले सप्ताह सरकार ने 10 नीलामी के जरिए 724 अरब डॉलर के बॉन्ड बेचे हैं, जिससे कुछ हद तक वित्तीय दबाव को कम करने की कोशिश की गई है। हालांकि यह उपाय स्थायी समाधान नहीं माना जा रहा।

टैरिफ से उम्मीदें, लेकिन जोखिम भी

कर्ज से निपटने के लिए ट्रंप प्रशासन ने भारत और ब्राजील जैसे देशों से आने वाले सामान पर 50% तक टैरिफ लगाया है। ट्रंप का दावा है कि इससे अमेरिका को भारी राजस्व मिलेगा और देश फिर से आर्थिक रूप से समृद्ध हो जाएगा।

मंगलवार को ट्रंप ने कहा, “मैं जो कर रहा हूं उसका उद्देश्य मुख्य रूप से कर्ज चुकाना है। लेकिन मुझे लगता है कि एक संभावना यह भी है कि हम इतना पैसा ले रहे हैं कि अमेरिका के लोगों को डिविडेंड भी दे सकते हैं।”

विशेषज्ञों की चिंता

आर्थिक विश्लेषकों का कहना है कि टैरिफ से मिलने वाला राजस्व अल्पकालिक राहत दे सकता है, लेकिन इससे वैश्विक व्यापार संबंधों पर असर पड़ सकता है। साथ ही, घरेलू उपभोक्ताओं को महंगे आयातित सामान का सामना करना पड़ सकता है।

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