उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने खुद इस्तीफा दिया या दिलाया गया,सच्चाई आ गई सामने?

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे ने देश की राजनीति में हलचल मचा दी है। उन्होंने 21 जुलाई की रात राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा सौंप दिया, जिसे अगले दिन स्वीकार कर लिया गया। हालाँकि उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया, लेकिन विपक्ष और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इसके पीछे गहरे राजनीतिक कारण हैं।

अचानक से इस्तीफा क्यों?

सबसे बड़ा सवाल ये है कि बीच सत्र में अचानक इस्तीफ़ा क्यों दिया गया? उपराष्ट्रपति का जयपुर दौरा 23 जुलाई को तय था, फिर रात में इस्तीफ़ा क्यों दिया गया? क्या बीमारी का हवाला देना सिर्फ़ एक बहाना था? अगर उपराष्ट्रपति बीमार थे, तो उन्होंने मानसून सत्र की कार्यवाही कैसे संचालित की? क्या भारतीय जनता पार्टी का वरिष्ठ नेतृत्व जगदीप धनखड़ से नाराज़ था? क्या धनखड़ विपक्षी नेताओं के क़रीब जा रहे थे? क्या उन्होंने ख़ुद इस्तीफ़ा दिया या उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया?

धनखड़ ने मानसून सत्र के पहले दिन राज्यसभा की कार्यवाही की अध्यक्षता की और उसी शाम राष्ट्रपति भवन जाकर इस्तीफा दे दिया। यह कदम ऐसे समय उठाया गया जब उनका जयपुर दौरा पहले से ही निर्धारित था। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट कर संकेत दिया कि दोपहर 1 बजे से शाम 4:30 बजे के बीच कुछ गंभीर हुआ, जो भाजपा नेताओं की अनुपस्थिति और इस्तीफे के समय से जुड़ा हो सकता है।

जयराम नरेश ने किया पोस्ट

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट किया, जिससे पूरे घटनाक्रम को समझने में काफी मदद मिलती है। उन्होंने लिखा कि कल दोपहर 12:30 बजे जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (बीएसी) की अध्यक्षता की। इस बैठक में जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू समेत ज्यादातर सदस्य मौजूद थे। शाम 4:30 बजे फिर बैठक हुई, लेकिन जेपी नड्डा और रिजिजू नहीं आए। साफ है कि दोपहर 1 बजे से 4:30 बजे के बीच कुछ गंभीर हुआ, जिसकी वजह से यह अनुपस्थिति रही। रमेश ने कहा कि यह इस्तीफा धनखड़ के बारे में बहुत कुछ कहता है और उन्हें उपराष्ट्रपति पद तक लाने वालों की मंशा पर भी सवाल उठाता है।

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महाभियोग प्रस्ताव बना वजह?

इस्तीफ़े का सिर्फ़ यही एक कारण नहीं हो सकता। इसके बाद जो हुआ, उससे सरकार असहज हो गई। कल शाम 4:07 बजे स्पीकर जगदीप धनखड़ ने जस्टिस वर्मा के ख़िलाफ़ महाभियोग प्रस्ताव पर 63 विपक्षी सांसदों के नोटिस मिलने की जानकारी दी। उन्होंने इससे जुड़े नियमों का हवाला दिया और यह भी पूछा कि क्या लोकसभा में भी यही प्रस्ताव लाया गया है? क़ानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने जवाब दिया कि लोकसभा स्पीकर को विपक्ष और भाजपा सांसदों के नोटिस मिले हैं।

सूत्रों के मुताबिक़, इसके बाद राजनाथ सिंह के दफ़्तर में भाजपा के राज्यसभा सांसदों की एक बैठक हुई। उनसे एक कागज़ पर दस्तख़त करवाए गए, बिना यह बताए कि ये हस्ताक्षर किस लिए हैं। बताया जा रहा है कि सरकार को इस महाभियोग प्रस्ताव की जानकारी ही नहीं थी। यह सरकार के लिए बेहद शर्मनाक पल था। शायद यही वजह है कि जेपी नड्डा और किरण रिजिजू बीएसी की बैठक में शामिल नहीं हुए और उसके बाद धनखड़ ने इस्तीफ़ा दे दिया।

विवादों से भरा कार्यकाल

धनखड़ का कार्यकाल पहले से ही विवादों और टकरावों से भरा रहा है। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहते हुए उनकी ममता बनर्जी से अनबन होती रही। उपराष्ट्रपति बनने के बाद भी उन्होंने किसान आंदोलन, सांसदों के निलंबन और न्यायपालिका पर टिप्पणियों को लेकर कई बार विवादों को जन्म दिया।

अब क्या होगा?

संविधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव चुनाव आयोग द्वारा कराया जाएगा। इसमें लोकसभा और राज्यसभा के सांसद मतदान करेंगे। कुल 782 सांसदों में से जीत के लिए 392 वोटों की आवश्यकता होगी। तब तक राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह कार्यवाहक राष्ट्रपति की भूमिका निभाएंगे।

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